ये कैसी दास्ता हुई ?
पता चला दुखः हुआ
क्यों हुआ कुछ पता नही
नौ तालाबो के इस शहर मे
होता था बाइस तालाब कभी
भोसले हुये पेशवा हुए
विकास हुआ कहते थे सभी
नाव चलाथी इसी शहर में
ये भी बात सूनी हमने
सुन्दर होगा वो वक्त तभी
सोच के मै मन्त्र मुग्ध हुई
पर आज के इस संसार मे
पानी आता पीने को नागपूर के बाहर से
ये कैसी शर्मनांक बात हुई
ये कैसी दासता हुई
लोग बताते महाल से बर्डी
आने के चलते थे नाव कई
पर क्या हुआ नगरी करण को ?
पर क्या हुआ शहरी करण को
पर क्या हुआ विकसित शहर को
की पानी अपने आप गयी ।
ये प्रश्न अपने आप में है
इस समस्या का जिम्मेदार हर कोई अपने आप मे हैं ।
ये कैसी दास्ता हुई
मिली